खराद

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

खराद ^१ संज्ञा पुं॰ [अ॰ खर्रात फा॰ खर्रादि] एक औजार । चरख । खरसान । उ॰—मानों खराद चढ़े रवि की किरणों गिरीं आनि सुमेरु के ऊपर ।—पजनेस॰, पृ॰ १३ । विशेष—इसपर चढ़ाकर लकड़ी धातु आदि की सतह चिकनी और सुडौल की जाती है । चारपाई के पावे, डिबिया, खिलौने आदि बढ़ई खराद ही पर चढ़ाकर सुडौल और चमकीले करते हैं । ठठेरें भी बरतनों को चिकना करने और चमकाने के लिये उन्हें खराद पर चढ़ाते हैं । मुहा॰—खराद पर उतरना या चढ़ना = (१) ठीक होना । दुरुस्त होना । सुधरना (२) लौकिक व्यवहार में कुशल होना । अनुभव प्राप्त होना । खराद या खराद पर उतारना या चढ़ाना = ठीक करना सुधारना । दुरुस्त करना सँवारना । उ॰—खैंचि खराद चढ़ाये नहीं न सुढ़ार के ढारनि मध्य डराए ।—सरदार (शब्द॰) ।

खराद ^२ संज्ञा स्त्री॰

१. खरादने का भाव ।

१. खरादने की क्रिया ।

२. ढंग । बनावट । गढ़न ।